वक्त की मोहब्बत
वक्त की मोहब्बत
पहले दिल लगाते थे लोग, अब दिल बहलाने के लिए दिल लगाते हैं लोग।
पहले रोने के लिए एक कंधा ढूंढते थे लोग। अब उसी कंधे को रुलाते हैं लोग.
पहले एक साथ यात्रा करते थे लोग. अब एक दूसरे को गुमराह करते हैं लोग.
पहले मैं उसका हूं मानते थे लोग. अब जबरदस्ती दूसरों को अपना बनाते हैं लोग.
वक्त तो अभी पहले सा ही है खुद को नहीं बदलते लोग. और बड़ी शान से वक्त को खराब बताते हैं लोग.
पहले मन से मन मिलते थे. अब तन से तन मिलाते हैं लोग.
पहले वक्त का पता नहीं चलता था. अब वक्त कटता नहीं लोगों का.
पहले इंसान को इंसान मानते थे लोग. अब तो गाय को भी काट खाते हैं लोग.
चिट्ठी पत्र का था वह जमाना तो सब्र था लोगों में. इस मैसेंजर की दुनिया में 1 मिनट लेट हो जाए तो बुरा मानते हैं लोग.
पहले अच्छी नियत वाले लोग ज्यादा मिलते थे. अब पूरी नियत वाले ज्यादा मिलते हैं.
पहले हर काम में मेहनत लगती थी. अब स्मार्ट वर्क करते हैं लोग.
पहले जज्बातों को जज्बात समझा जाता था. अब तो किसी की बात तक नहीं समझते लोग.
पहले दूसरों का सोचते थे लोग. अब खुद से फुर्सत नहीं पाते हैं लोग.
पहले सबकी सुनते थे लोग. अब बस अपनी सुना जाते हैं लोग.
पहले दौलत को सिर्फ गुजारे लायक समझते थे लोग. अब दौलत को ही अपने लायक समझते हैं लोग.
पहले फुर्सत से बैठ बातें करते थे लोग. अब फुर्सत पाते ही मोबाइल निकाल लेते हैं लोग.
पहले किताबों से सीख अपने मन को साफ करते थे लोग. अब उन्हीं को फाड़ घर कमरा साफ करते हैं लोग.
पहले तन से भले ही अकेला लेकिन मन में साथी रखते थे लोग. अब तन भीड़ में होकर भी मन अकेला पाते हैं लोग.
पहले कैसे अपना काम सफल हो जाए इसकी तरकीब लगाते थे लोग. अब दूसरों का काम ना हो पाए इसके तरीके ढूंढते हैं लोग.
पहले गांव में बैठ हथायां करते थे लोग. अब पार्क में अकेले बैठते हैं लोग.
पहले खिलौनों से खेलते थे लोग. अब दिलों से खेलते हैं लोग.
पहले मैं और तुमको हम मानते थे लोग. अब मैं तो सिर्फ मैं हूं कहते हैं लोग.
पहले शरारत करते थे लोग. अब चालाकियां करते हैं लोग.
पहले प्यार करते थे लोग. अब प्यार चाहते हैं लोग.
पहले एक दूसरे के लिए तरकीबें निकालते थे लोग. अब साज़िशें करते हैं लोग.
पहले खुश रहते थे लोग. अब खुश रहने की कोशिश करते हैं लोग.
पहले किसी का एहसान भूलते नहीं थे लोग. अब किसी का एहसान याद नहीं रखते लोग.
पहले मिल बांटकर खाते थे लोग. अब बंट-छटकर खाते हैं लोग.
पहले दिल में अपनों के लिए प्यार और दुआ रखते थे लोग. अब दिल में मैल बैर और छल कपट रखते हैं लोग.
पहले अजनबियों को भी अपना मानते थे लोग. अब अपनों को भी गैर मानते हैं लोग.
पहले सुलह करने का काम करते थे लोग. अब खड़े-खड़े झगड़ा बढ़ाते हैं लोग.
पहले मेहमानों को भगवान मानते थे लोग. अब तो भगवान को ही नहीं मानते लोग.

