चाहत
चाहत
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जब भी तेरी याद आती है
मेरा सिर तेरे कांधों पर होता है
ये जिंदगी की भाग दौड
ये तनाव भरी जिंदगी
तेरे करीब आकर लगता है
मंंजिल मिल गई
बस तुम न कुछ बोलो
न मैैं कुछ बोलूं
बस और कुछ न हो
बस तुम मैं और ये तन्हाई हो
मौन प्यार करें
आगोश में एक दूजे के
कांंधो पर.सर रख
जी लें कुछ अपने लिए
इस तन्हाई में न जाने
जिंदगी का वो आखिरी
पडाव आ जाये
जहां हम हमेशा के लिए
जुुदा हो जायेें
कुुछ पा लेने की हसरत मेंं
जिंदगी जीने की एक ललक
एक प्यार के लिए तरस जायेे।