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Meera Raikwar

Romance

4  

Meera Raikwar

Romance

मिलन की रात

मिलन की रात

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कब से था इंतजार इस रात का

बरसों बाद आई इस रात का


शीतल चांदनी और धुंध का सैलाब

आजा प्रिये मेरी बांंहों में रात आज


दूूूर न रहो छुप छुप के न चलो

निगाहों से दूर न जाओ रात आज


हमें और न तडफाओ तुम प्रिये

दे रही कायनात भी साथ रात आज


फलक से धरा तक बिखरी शुभ्र चांदनी

 निशब्द है धुंध की रात आज 


न करो तुम जुदाई की बात आज

बाहों में समा जाओ रात आज


मिलकर जुदा न हो कभी आज के बाद

जन्मों जन्मों की मिलन की रात आज।


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