प्रेम का वर्णन.......
प्रेम का वर्णन.......
आज वर्णन करू मैं मेरे प्रेम कि,
तेरा जीवन में आना तो कुछ ऐसा था।
जैसे बगियाँ में फूल खिल गए हैं,
जैसे गुलशन में गुल मिल गए हैं,
जैसे-जैसे तुम मेरे करीब आने लगे,
वैसे-वैसे ही मैं तेरी होने लगी,
तेरी बतिया मेरे मन को भाने लगी,
तेरी सूरत मेरे दिल में आने लगी,
जिस दिन से मैंने तुझे दिल भर के देखा,
उस दिन से दीवानी तेरी हो गयी हूँ,
मेरे कृष्ण में तुम मुझको दिखने लगे,
मेरे श्याम की सूरत हैं बस तुझमें ही,
मेरे दिल को तुम पसंद आने लगे,
और वही से यह प्रेम शुरु हो गया,
कभी प्रिय कहो तुम, कभी राधा अपनी,
कभी कवयित्री कहो तुम, कभी दोस्त अपनी,
तुमने हर ओर से मुझे बाँध लिया,
कैसा निराला यह हमने प्रेम किया,
यह तो वर्णन हैं जी मेरे प्रेम का,
तेरा जीवन में आना तो कुछ ऐसा था.......