करीब
करीब
वह कौन सा क्षण है
जब मैंने तुुम्हें भुला दिया है
हरदम तुम बात करती
कभी डांटती ,
चुप कराती हो
कभी मुस्कुराती ,
चुप हो जाती हो
कभी सब कुछ भूल
मुझे प्यार करती हो
ये काम ऐसे नहीं
ऐसेे करना समझाती हो
तुम नहीं पर हर
काम में याद आती हो
फिर मैंने कहां
बिसराया तुम्हीं कहो
मैं तुम्हें भूला नहीं
तुम हरदम करीब हो।