Meera Raikwar

Romance

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Meera Raikwar

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तुम्हारी याद

तुम्हारी याद

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उगता सूरज

ढलती शाम

दोपहर होती

नित्य नयी रात


तुम कब आओगे

जोहती मैं तुम्हारी बाट

स्मृति में तुम्हें 

याद कर मुस्काती


तुमसे न जाने

क्या क्या बात कर

कभी लजाती

कभी डर जाती


तुम कुछ बोलते

मैं कुछ बोलती

खलल जब होती

जब पास न होते


स्मृति में खोकर

खूब सपने देखे

न जाने कब होंगे

साकार अपने


करनी है बहुत सी बातें

कुछ अपनी कुछ पराई

पर न जाने तुम

कब आओगे


उगता सूरज

ढलती शाम

दोपहर होती

नित्य नयी रात ।


 


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