सुनो
सुनो
महबूब मेरा मुझसे रूठा ही तो है!
साथ नहीं है अब साथ छूटा ही तो है!!
मुझे देख कर बाहो में भरती है रकीब को!
खिलौना था मैं उसका शायद वो बेवफ़ा ही तो है!!
जो जख्म मुझे दिए वो उसे भी दोगी!
फितरत है तुम्हारी तुम फिर रँग बदलोगी!!
जो बोया है वो एक दिन जरूर काटोगी!
पछताओगी बहुत एक दिन ख़ुद को डांटोगी!!
सुनो मोहब्बत से खेल कर!
दाँव पर कुछ ना लगाना!!
तुम इज़्ज़त हो माँ बाप की!
उनकी इज़्ज़त मत डूबाना!!
अफसोस अभी मुझे मेरी पसंद का है!
कल तुम्हें भी तुम्हारी पसंद का होगा!!
खेल कर तुम्हारे साथ ही कोई तुम्हें लूट जाएगा!
पाओगी अकेला ख़ुद को साथ कोई ना आएगा!!
याद तुम्हें फिर वही गुजरा वक़्त आएगा!
बहाओगी आंसू और फिर मेरा ख्याल आएगा!!
याद करोगी हर वो पल जो याद मैं करता हूं!
आ जाओगी वापस एक दिन खुद से यही कहता हूँ!!
सुनो
आ जाओगी ना