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Brahamin Sudhanshu

Inspirational

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Brahamin Sudhanshu

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अलग पहचान

अलग पहचान

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बैठा यूँही गुमसुम मैं

गिद्ध को मै देख रहा

है कितना शक्तिशाली ये

आसमान मे उड़ रहा


देख उसको मैंने भी प्रयत्न किया

फैला कर हाँथ उड़ने का स्वप्न किया

विफल हो जमी पर मुह के बल मै गिरा 

रो कर बोला भगवान भेदभाव क्यूँ किया 


हुआ फिर ऎसा गिद्ध जमीं पर गिरा 

तड़प रहा वो प्यास से मुझे प्रतीत हुआ 

था इतना बड़ा वह देख मुझे भय हुआ 

फिर भी प्यास बुझाना उसकी मेरा धर्म हुआ 


मै गया उसके पास उसे गोदी मे उठा लिया 

ले कर चम्मच मे पानी उसको पिला दिया 

सहला कर उसको थोड़ा मैंने ढेर प्यार किया 

थोड़ी देर में ठीक हो कर वो फिर से उड़ा दिया 


तभी अंतर्मन से मेरे अवाज आई 

तू इंसान है इंसानियत तुझमे समाई 

गिद्ध को देख कर उड़ान नहीं भरते 

अब समझा भगवान भेदभाव नहीं करते। 



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