मैं भी रोता रहा
मैं भी रोता रहा
जिसकी खातिर मैं दर-दर भटकता रहा ।
रात दिन मेरे अंदर वो बैठा रहा ।।
मेरे अंदर समन्दर सा था कैद जो ;
तेरे आगोश में आ पिघलता रहा ।।
रश्म ऐसे अदा कल हुई इश्क की ;
वो भी रोती रही मैं भी रोता रहा ।
क्या भला पूछता क्या बताता मैं कुछ ;
रात भर उसकी आँखों में खोया रहा ।
कुछ मिला है वफ़ा का सिला इस तरह ;
कल भी तनहा था मैं अब भी तनहा रहा ।