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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance

मैं भी रोता रहा

मैं भी रोता रहा

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जिसकी खातिर मैं दर-दर भटकता रहा ।

रात दिन मेरे अंदर वो बैठा रहा ।।


मेरे अंदर समन्दर सा था कैद जो ;

तेरे आगोश में आ पिघलता रहा ।।


रश्म ऐसे अदा कल हुई इश्क की ;

वो भी रोती रही मैं भी रोता रहा ।


क्या भला पूछता क्या बताता मैं कुछ ;

रात भर उसकी आँखों में खोया रहा ।


कुछ मिला है वफ़ा का सिला इस तरह ;

कल भी तनहा था मैं अब भी तनहा रहा ।


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