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सोनी गुप्ता

Abstract Romance Inspirational

4.8  

सोनी गुप्ता

Abstract Romance Inspirational

बिछड़ना ही नसीब था

बिछड़ना ही नसीब था

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तुम्हारी राहों को अपना समझ 

हम तुम संग चल पड़े थे, 

जब-जब तुम तन्हा दिखे 

हम हमेशा तुम्हारे साथ खड़े थे, 


पर आज यह क्या हुआ 

क्यों किस्मत ने करवट बदली, 

साथ तुम्हारा बीच राह पर ही 

जाने क्यों हमसे छूट गया,


दूर हुए तुम हमसे 

शायद बिछड़ना ही नसीब था हमारा,

आज अकेले खड़े उन राहों में 

जहाँ कभी साथ था तुम्हारा !


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