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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

मेरा दिल चुराकर ले गई

मेरा दिल चुराकर ले गई

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मेरा दिल चुराकर ले गई , नशीली नजर आपकी 

मेरा चैन चुराकर ले गई , कंटीली नजर आपकी 

हवाएं भी अब शोलों की तरह झुलसाने लगी हैं 

सुकून मिल जाये जो हो इनायत ए नजर आपकी 

तेरी गलियां अब मेरा मुकम्मल ठिकाना बन गई हैं 

क्या पता मिल जाये एक झलक ए नजर आपकी 

मुस्कुराहट की छुअन से महक उठे हैं अरमान 

सांसों में बस गई है मेरे , गुल ए नजर आपकी 

जुल्फों के भंवर के बीच कहीं गुम हो गए हम 

जिंदगी बन गई है ये कातिलाना नजर आपकी 

पलकों के झरोखों से जो बरसने लगीं फुहार

जन्नत बन गई है ये आशिकाना नजर आपकी। 


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