संग जीने के लिए
संग जीने के लिए
कुछ बंदिशें ज़रूरी हैं,
संग जीने के लिए।
कितनी ही ख्वाहिशें अधूरी हैं,
संग जीने के लिए।
बातें तो बातें हैं,
कभी खत्म ना होगी,
कई बातें अधूरी हैं,
संग जीने के लिए।
किसी बात पर जो तुम रूठ जाओ,
तो कोई परवाह नहीं मुझको,
तेरा हर बार मुझे मनाना,
ज़रूरी है, संग जीने के लिए।
कुछ अनसुलझे से किस्से हैं,
मेरे और तेरे दरमियाँ।
उन क़िताबों का बंद रहना ज़रूरी हैं,
संग जीने के लिए।
कभी तुम तो कभी हम,
करते हैं कितनी कोशिशें।
क्या ये कोशिशें काफी हैं,
संग जीने के लिए?
तेरी हर बात मुझे अच्छी ही लगे,
ये ज़रूरी तो नहीं।
तेरे संग अच्छा लगना ज़रूरी हैं,
संग जीने के लिए।
कदम से कदम मिलाकर चलें,
ये ज़रूरी तो नहीं।
रास्ते एक हों ज़रूरी हैं,
संग जीने के लिए।
ख्वाहिशों का दौर चलता हैं,
चलने दो, वो चलता ही रहेगा।
तू मेरी, मैं तेरी पहली ज़रूरत हैं,
ये समझना ज़रूरी हैं,
संग जीने के लिए।
तू मुझ बिन, मैं तुम बिन अधूरे हैं,
ये याद रखना।
हाँ, हाँ संग पुरे हैं,
और होना ज़रूरी हैं,
संग जीने के लिए।