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Manu Paliwal

Romance

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Manu Paliwal

Romance

चलो कहदो

चलो कहदो

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बहुत हुई ये इशारों की बातें,

अब आज चलो तुम कहदो ना,

खोल दिये हैं सारे बन्धन अब,

चलों आज सखी तुम कहदो ना,

कितने अहसासों से चुप तुम थीं,

कितना अनजाना सा तो मैं भी था,

छोड़ो अब तुम छोड़ चलों यादों को,

हुँ बैठा बस इस आहट से कहदो ना,

सब सुन लूँगा सब ही तो सुनना है,

चलो आज सखी तुम कहदो ना,

कितना ओढ़ा कितना ढाँक है अबतक,

कब ढल गईं यूँ तुम ढाल बनकर,

चलना ही होगा इन अहसाहों से आगे अब,

रचना ही होगा एक नया संसार अब,

खिलती हुई मुस्कान सा अहसास हो,

चलो आज सखी तुम कहदो ना,

ना मैं बदला ना तुम बदलीं उम्र का क्या है,

होनेदो थोड़ा कोलाहल फिर अंगड़ाई लेने दो,

जो छूट गया वो क्या करना अब,

मन भर आज हँस लेने दो अब,

मत रखना उस कोने में कोई बात,

चलो आज सखी तुम कहदो ना ।।


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