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Manu Paliwal

Abstract

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Manu Paliwal

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मुझे खुदा की तलाश है

मुझे खुदा की तलाश है

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स्नेह से झलके आंसुओ को तलाश है,

शाफील शुराये शिफ्र मुझे खुदा की तलाश है,

बेखौक आईने में शक्ल देखते नहीं अब,

डर न जायें कहीं हम मुझे मेरी तलाश है,

शलूक की वजह से बेजान है इंसान भी,

मुझे किसी प्रताड़ित पत्थर की तलाश है,

नतमतस्तक शिफ्र कौन हुआ कब हुआ,

मुझे यूँ भी किसी निर्झर की तलाश है,

रेखाओं की दूरियां बढ़ती जा रहीं हैं ,

प्रतिझड बनते बिगडते उड़े जा रहे हैं,

कहाँ कौन राख में मिला आबाद हुआ,

मुझे ईश्वर तेरे खण्डर की तलाश है। 


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