लफ़्ज़ों में बयां न हो सके
लफ़्ज़ों में बयां न हो सके
वो थकती नही बोलने से और उस के मुँह से तो शायद ही कोई लफ्ज़ निकलता है,, ,, ,,
वो चंचल है , चाँद सी वो लड़का सूर्य की तरह स्थिर सा है,,
वो समझ लेती है उसकी खामोशियाँ,, और वो आँखो से ही दिल का हाल पढ़ लेता है ,,
लापरवाह सी है वो लड़कीं, वो लड़का कम उम्र में ही जिम्मेदार सा है,,
वो गर्म मिजाज की है,, और वो माह की तरह शीतल सा है,, ,,
वो सांवली सलोनी मर्ग नैनों वाली,, वो गोरी सूरत का,, शांत सागर सा है
वो गंगा सी पावन है,, वो समुद्र है उसकी चाहतों का जिसे उम्र के हर पड़ाव में उसका ही इंतेज़ार है,,
एक उत्तर, एक दक्षिण दोनों का रिश्ता बेहद अलग सा है,, जो लफ़्ज़ों में बयाँ न हो सकें, उनका प्रेम इतना गहरा है।