मेरे नसीब में इश्क़ कहाँ
मेरे नसीब में इश्क़ कहाँ
छोटे शहर से हूँ, लेकिन घर मे बड़ा हूँ ,
ये इश्क मेरे नसीब में नही,,
मेरे कंधों पर तो जिम्मेदारियों हैं ,,
छोटे भाई बहनों की खुशियों की हिस्सेदारियां हैं ,,
ये दिल यहाँ पर मत लगाना
मेरे दिल के शहर में इश्क़ पर पाबंदियां हैं
मेरे हिस्से में प्रेम नही,,
चाहत की कुर्बानियां हैं
दिल लगाता नही सकता मैं,,
जनता हु,, ये तो कुछ दिन की ही खुमारियां हैं ,,
लौटना है फिर मुझे मेरे शहर ,,
मेरे जहन में ,, मेरे बापू की कुर्बानियां हैं ,,
भोला कह लो मुझे,,
या समझ लो ये मेरी होशियरियाँ हैं ,,
दिल लगा कर मिलता हैं दर्द,,
सुनी मैने सब से ये कहानियां हैं
उनसे नज़रे मिलाता नही मैं,,
उनकी आंखों में इश्क़ की बेईमानियां हैं ,,
मेरे होठों पर हँसी,, और आँखो में नमी,,
ये ज्यादा कुछ नही ,, टूटी ख्वाहिशों की निशानियां हैं ,,
ये इश्क़ मेरे नसीब में कहा,,. . . . .
