मेरा हमसफर
मेरा हमसफर
ज़िन्दगी के सफर में एक शख्स था जो हर पल मेरे साथ था,
चाहे धूप हो, चाहे बारिश उसका हाथ हर मौसम में मेरे साथ था,
जब कोई साथ नहीं था, किसी दोस्त का भी साया साथ नहीं था वो मेरे पास था,
किसी को जिस्म की तलब थी, तो कोई बस पैसों के लिए साथ था,
मगर वो इकलौता बेवजह मेरे साथ था,
जब ठुकराया जमाने ने मुझे, तो केवल वो ही था जो मेरे टूटे दिल के टुकड़ों को थामे था,
जब जब निराश हुआ मैं ज़िन्दगी में, वो मुझ में आगे चलने का सब्र बांधे था,
अक्सर दिन में एक बार हमारी मुलाकात हो ही जाती थी आईने में ,
हाँ, वो शख्स मेरे अंदर ही था, जिस ने मुझे हँसना सिखाया अपने ही दायरे में,
वो बिना मतलब के मेरे साथ चल रहा था, तो क्या हुआ कोई नहीं है तो,
मैं तो हूँ ना हर उदासी के पल कह रहा था,
एक शख्स था अपना सा जो ज़िन्दगी के इस सफर में मेरा आखरी साँस तक हमसफ़र था,
जिसे तलाशा मैंने दुनिया की भीड़ में, इत्तेफाक से वो शख्स मेरे अंदर ही साँस ले रहा था,
हम पहाड़ों में साथ घूमे तो हम गंगा के तटों पर भी साथ थे,
एक वक्त के बाद मैंने उस के साथ खुश रहने सिख लिया था,
मतलब की दुनिया की भीड़ में वो इकलौता था जिस के हिज्र का मुझ को न डर था,
जिंदगी के एक सफ़र में एक शख्स था जो हर पल मेरे साथ था।
