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Prachi Gaur

Inspirational Others

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Prachi Gaur

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शक्ति

शक्ति

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मैं हूँ दुर्गा, मैं शक्ति, मेरी ही काली हूँ

सृष्टि का संचार है मुझ से, मैं ही संघारिणी हूँ,

मैं ही हूँ ममता की मूरत जग में, मैं ही तारिणी हूँ,


जब जब संकट आया धर्म पर,

मैं ही संकट निवारिणी हूँ,


अधर्म हूँ आ जब जब भक्तों पर,

मैंने फूल छोड़ तलवार उठाई है,


प्रेम की मूरत हूँ मैं तो कभी त्याग की प्रतिमा,

मैं मौजूद हूँ हर जगह, माँ का आँचल, या हो औरत की गरिमा 


जब जब बात पर औरत की लाज पर आई, छोड़ कर कोमलता मैं कालिका बन आई,

इस जग ने सदा यही किया मासूम को दुत्कारा और शक्ति का आवाहन किया,


मैं प्रेम का संगीत हूँ तो कभी ज्वाला के गुस्से का गीत हूँ

मैं हूँ गौरी, मैं ही महिषासुर मर्दिनी और मैं ही जगदंबा हूँ



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