सर्दियों की वो शाम.......
सर्दियों की वो शाम.......
एक शाम कुछ ऐसी थी, की सर्दियों का मौसम था और शिमला की शाम किसी जन्नत जैसी थी,
हाथो मैं गरम चाय का प्याला पकड़े ,मैं ढलते सूरज को देखते हुए पहाड़ो के एक छोटे से कोने में बैठी थी,
वो गिरती हुई बर्फ ठंड़ से ज्यादा मुझे ठंड से ज्यादा जीवंत होने का अनुभव दे रही थी,
खो सी गयी थी जो भीड़ भरे शहर में, उसे विपरीत वो शाम मुझे एक बार खुल कर जीने का एहसास दे रही थी,
सर्द सी मद्धम हवा, वो सफेद बर्फ की चादर से ढका शिमला शहर , वो खूबसूरत सी शाम मुझे उम्मीद का पैगाम दे रही थी,
आज भी याद है मुझे है मुझे सर्दियो की वो हसी शाम जो हिमाचल की वादियों मैं मुझे खुद से खुद से इश्क़ करने को कह रही थी
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