मौसम की शरारत
मौसम की शरारत
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फिर से मौसम ने आज शरारत की,
हवाओं ने छेड़ा मेरी जुल्फों को,
बारिश ने भिगो कर इनायत की,
कुछ बूंदें गुज़र गयी, लबों से हो कर
तो कुछ ने ठहर जाने की गुजारिश की,
कुछ ढही ललाट से हो हो कर रुखसार को चूमते हुए,
तो कुछ ने ने मेरे केशों से शुरुआत की,
भीग कर बिन मौसम की बारिश में,
मेरे दिन की आज शुरुआत हुई।
