क्यूँ बार - बार ?
क्यूँ बार - बार ?
क्यूँ बार - बार हसरतों का दौर चलता है
क्यूँ तुमसे मिलके ये दिल और धड़कता है
क्यूँ तेरे आने पर एक उम्मीद सी बंध जाती है ?
क्यूँ इन होठों से तेरा ही नाम निकलता है ?
लाख समझाया इस दिल को ये मनमौजी बड़ा ,
तेरा नाम जपने की देखो ज़िद पे अड़ा ,
ज्यादा रोका इसे तो ये बागी बन जायेगा ,
तेरी तस्वीर सरे~ए~आम घुमा के पछतायेगा |
हसरतों को दिल में दबाना ही अभी है सही ,
इतना ही काफी है कि मेरा भी रहनुमा छिपा है कहीं ,
इश्क को जितना छुपाओ ये उतना मचलता है ,
ना जाने क्यूँ बार - बार हसरतों का दौर चलता है ?
हसरतें मेरी तेरे लिए एक कहानी बनी ,
सारी - सारी रात जागती उभर ज़वानी बनी ,
तेरे लिए अब भी ये दिल रोज़ धड़कता है ,
क्यूँ बार - बार हसरतों का दौर चलता है ?