रंग दूँ जो तोरा मन
रंग दूँ जो तोरा मन
जो आ गए हो बन मोहन लाल
छुपा लाये हो जो अपने साथ गुलाल
कर दी मेरी चुनरी जो तूने लाल
सोचना न छोड़ दूँगी तोहे यूँ ही नन्द लाल
मुट्ठी मेरी भी है भरी , है रंग से माला माल
जो रंग दूँ तेरे मन को ही इस बार
मेरी रंग भरी चुनरी में कैद हो जाएगा
तू आने वाले हर क्षण, हर साल।