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Deepa Jha

Abstract

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Deepa Jha

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वो चाँद तुम्हारा है

वो चाँद तुम्हारा है

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पेड़ों की शाखों में उलझा,

सिमटता कभी उभरता 

वो चाँद तुम्हारा है ;

तुम्हारे घर की छत पर लटकता ,

सुर्ख कभी सुनहला 

वो चाँद तुम्हारा है ;

लम्बी सड़कों पर साथ चलता ,

ओझल होता कभी सामने आता 

वो चाँद तुम्हारा है ;

हाथ बढ़ा कर तोड़ लेना उसको ,

बाँध लेना गाँठ में अपनी ,

चाहे भींच लेना नन्ही मुट्ठी में 

वो चाँद तुम्हारा है ;

भरी बरसात हो या हो जलती धूप ,

हो छाले पॉंव में कभी नरम हो घास ,

रौशनी तले उसकी बढ़ते रहना 

वो चाँद तुम्हारा है। 

 



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