वो चाँद तुम्हारा है
वो चाँद तुम्हारा है
पेड़ों की शाखों में उलझा,
सिमटता कभी उभरता
वो चाँद तुम्हारा है ;
तुम्हारे घर की छत पर लटकता ,
सुर्ख कभी सुनहला
वो चाँद तुम्हारा है ;
लम्बी सड़कों पर साथ चलता ,
ओझल होता कभी सामने आता
वो चाँद तुम्हारा है ;
हाथ बढ़ा कर तोड़ लेना उसको ,
बाँध लेना गाँठ में अपनी ,
चाहे भींच लेना नन्ही मुट्ठी में
वो चाँद तुम्हारा है ;
भरी बरसात हो या हो जलती धूप ,
हो छाले पॉंव में कभी नरम हो घास ,
रौशनी तले उसकी बढ़ते रहना
वो चाँद तुम्हारा है।