महकता फूल
महकता फूल
देती तुझे आवाज़ें हूँ,
कई बार पलट कर आती हूँ;
कुछ खो गया सा लगता है,
राहों पे बेचैन सी नज़र दौड़ाती हूँ;
जो थक जाऊं किसी दिन
तुझे पुकारते हुए;
इन्हीं राहों की धुल में
पायेगा तू मुझे इक महकता फूल हुए।
देती तुझे आवाज़ें हूँ,
कई बार पलट कर आती हूँ;
कुछ खो गया सा लगता है,
राहों पे बेचैन सी नज़र दौड़ाती हूँ;
जो थक जाऊं किसी दिन
तुझे पुकारते हुए;
इन्हीं राहों की धुल में
पायेगा तू मुझे इक महकता फूल हुए।