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Deepa Jha

Abstract Romance

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Deepa Jha

Abstract Romance

मुझे गुज़रने न देना

मुझे गुज़रने न देना

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अब की जो किरण बन आऊं,

मुझे बुझने ना देना

अब की जो बरसूं बन कर बूँद ,

मुझे बह जाने ना देना

अब की जो खिलूँ बन कर फूल,

मुझे मुरझाने न देना

अब की जो झाँकूँ तेरी गली में बन कर चाँद ,

मुझे छुप जाने ना देना

अब की जो छूऊँ बन कर हवा,

मुझे गुज़रने न देना

भर लेना अपनी साँसों में,

समेट लेना अपनी बांहों में,

सजा लेना अपनी निगाहों में,

वो जो सुन ना पाए थे तब,

सुन लेना तुम मेरी अनकही बातों में 



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