खिल उठा है ताज
खिल उठा है ताज
देखो खिल उठा है ताज
तेरे होने से साथ
वो चांदनी में नहाया गुम्बज
वो तेरी उँगलियों में लिपटी मेरी उंगलियां
वो मीनारों पे लिखी आयतें
वो तेरी आँखों में उतरती मेरी आँखें
वो सफ़ेद संगेमरमर की आभा
वो तेरे प्यार में दमकती मेरी काया
इस आलिशान ज़िन्दगी की इनायतें
आज पलकों पे उठाये शान से
खो जाती हूँ तेरे आगोश में
कि दुनिया में सबब और न रहा
तेरा यूँ मेरा हो जाने के बाद से।