हिचकियों से एक दिन मेरी जान चली जायेगी इतनी दफ़ा भी दिन में ना सोचा करो मुझे। हिचकियों से एक दिन मेरी जान चली जायेगी इतनी दफ़ा भी दिन में ना सोचा करो मुझे।
ढोए हैं मैंने बेदवा वो ज़ख़्म कई सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नयी - नयी सी है। ढोए हैं मैंने बेदवा वो ज़ख़्म कई सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नयी - नयी सी है।
वो पूछ बैठे हमसे... हमारी उदासी का सबब... वो पूछ बैठे हमसे... हमारी उदासी का सबब...
मुश्किल है इन्साफ़-ए-मुंसिफ़ दिल है जानता मुश्किल है इन्साफ़-ए-मुंसिफ़ दिल है जानता
आज परिणाम सुखद है, आज परिणाम सुखद है,
जिंदगी की कद्र कहाँ है मेरी चलो शोक में जरूर आना तुम। जिंदगी की कद्र कहाँ है मेरी चलो शोक में जरूर आना तुम।