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आँसुओं का सबब पूछा करो मुझे

आँसुओं का सबब पूछा करो मुझे

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खामखां तेरी महफ़िल में बदनाम हो जाते हैं

यूँ नजरें झुका कर तुम ना देखा करो मुझे।


तेरे पहलू में बैठ कर यूँ ही ज़िन्दगी गुजार देंगे

गर कभी उठ कर भी जाऊँ तो रोका करो मुझे।


हिचकियों से एक दिन मेरी जान चली जायेगी

इतनी दफ़ा भी दिन में ना सोचा करो मुझे।


मिलने की खुशी या बिछड़ने के ग़म में आये होंगे

आँसुओं के आने का सबब ना पूछा करो मुझे।।


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