हमसाया
हमसाया
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जवां महफ़िल थी और कोई हमसाया ना था
तन्हा तो बरसों था पर यूं किसी ने रुलाया ना था
बहुत देखी अदावतें राह-ए-ज़िन्दगी में मगर
खामोशियों से यूं कभी किसी ने सताया ना था
बंद पड़ गये मयखाने सारे इतनी पी थी हमने
तेरे आँखों-सा मगर कभी किसी ने पिलाया ना था
मशवरे मिलते रहे मिलते रहे जब लोग मगर
आईने-सा यूँ कभी किसी ने समझाया ना था