उठा अस्त्र हे शक्ति पुत्री
उठा अस्त्र हे शक्ति पुत्री
उठा अस्त्र हे शक्ति पुत्री, धर चंडी का अवतार तू
भर चुका घड़ा है पाप का, कर दुष्टों का सहांर तू
दिन गये जब बचाई थी उसने बेबस द्रोपदी की लाज को
आयेगा बचाने फिर कृष्ण कोई, भर्म ना ऐसा पाल तू
ममता की है दरिया लेकिन, है हिन्द की भी शान तू
है बंश तू रानी लक्ष्मी का, रख इसका भी अब ध्यान तू
कर ना पायें हम रक्षा तेरी, जी भरकर हमें धिक्कार तू
तू दुर्गा है, काली है तू, बचा ले खुद अपनी लाज तू।