बिना खड़ग बिना ढाल
बिना खड़ग बिना ढाल
कैसी है यह लड़ाई बिना खडग बिना ढाल
हे भारतीय वीर तूने कर दिया कमाल !
सच है कि 'उनके ' हौसले हैं हो चले बुलंद
लेकिन ना डरे हैं ना डरेंगे सुनो ' जयचंद '
हैं एक - एक करके सभी रास्ते हैं बंद
लेकिन ना हौसला ना हिम्मतें पड़ेंगी मंद !
खतरों के कुशलता से खिलाड़ी रहे हैं हम
ऐ दुष्ट ' कोरोना ' ना समझो कत्तई भी हमको कम !
तुम चीन से चले हो इसका ना रहा है गम
यह दुष्टता की हद है और पाप अनन्तम !
जिस देश ने दिया था शून्य तुमको विश्व को
उस देश ने सम्मान दिया है प्रकृति को !
तुम सबसे उपेक्षा किया है ईश्वरीय शक्ति को
ईश्वर सदैव उपकृत करते रहते हैं समस्त को !
हम संभल ही जायेंगे बदल कर आहार - विहार
पर छोड़ ना सकेंगे अपना आतिथ्यित सत्कार !
अमेरिका को दिया हमने आज प्राणदायक उपचार
लेकिन ऐ दुष्ट ना सहेंगे तेरा अब व्यभिचार !
अपनों से पहले दूसरों का हम पूछते हैं हाल
अपनी तो आदि - सभ्यता का दुनिया में कमाल !
कैसी है यह लड़ाई बिना खड़ग बिना ढाल
हे भारतीय वीर तूने कर दिया कमाल !