चराग जरा आहिस्ता जलो
चराग जरा आहिस्ता जलो
रात अभी बहुत लंबी है चराग जरा आहिस्ता जलो
मोड़ होंगें अभी कई राहों में, चराग जरा आहिस्ता जलो।
माना पहले मिल जायेगी मंजिल तेज चलने से मगर
अपने दूर हो जायेंगे, चराग जरा आहिस्ता जलो।
खामोश हो बहुत, तुम भी नाराज हो क्या मुझसे
बैठ ! दो बातें कर लेते हैं, चराग जरा आहिस्ता जलो।
बिछड़ा था इक साथी इसी मोड़ पर कभी मुझसे
उसे भी पुकार लेते हैं, चराग जरा आहिस्ता जलो।