आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
वो जब चौबारे से निकले,
मोहल्ले में जाने क्यों हलचल हो गई,
शांत मुरझाई हुई सी शाम,
जाने कैसे खिल उठी,
सुंदर जवान लड़कियों और लड़कों पर,
फिदा होते ज़माना देखा है,
इनमें जाने क्या खास है,
की सारा मोहल्ला इनकी राहों में है,
रोज शाम जब वो घर से निकलें,
बच्चों में हलचल घर पे,
चलो खेलने का समय है,
सब घर से अब निकलें,
राहों में चले वो ऐसे,
एक आत्मविश्वास चल रहा हो जैसे,
बातों में सकारात्मकता ऐसी,
सुख ही सुख हो इस संसार में जैसे,
आंखों में उसके चमक,
जैसे कोई नई जंग जीती हो,
धीमी चाल है अब उसकी,
पर विचारों में बहुत तेज़ी हैं,
छोटे बड़े सब आतुर है राहों में,
मिलकर जाने क्या बातें करनी हैं,
कोई वजह हो ना हो बस,
वो सकारात्मक तरंगें लेनी है,
अनुभूति है उसे इस संसार की,
अनुभव है उसे हर परिस्थिति का,
कभी हार न मानी उसने,
उदाहरण है वो कामयाबी का,
सत्तर वर्ष की ये दादी मां,
जब निकले शाम को टहलनें को,
मोहल्ला सारा खुशी से मिलता,
और बन जाता रेला बातों का,
समय की पाबंद है वो,
दिल से मज़बूत है जो,
आत्मविश्वास और सकारात्मकता,
मूल मंत्र हैं उसके जो,
जीवन है बहुत लंबा,
ईश्वर ने जो हमें दिया है,
समय चाहे जैसा भी हो,
हमारा ज़िम्मा तो हमें ही दिया है,
कोई कुछ कहे ना कहे,
हम उस ईश्वर की कारीगरी हैं,
ध्यान रखना है हमें स्वयं का,
यही तो हमारी कलाकारी है।
