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Avinash Kumar Barnwal

Others

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Avinash Kumar Barnwal

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तेरे निशां

तेरे निशां

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तुझसे दूर तेरे निशां ढूंढ रहा हूँ मैं,

जाने क्या को क्या समझ रहा हूँ मैं।


कलम भी इस कदर नाराज है मुझसे,

जमीं को आसमां लिख रहा हूँ मैं।


तुझसे बिछड़ने का ग़म है ये शायद,

फ़क्त आँसुओं को समंदर समझ रहा हूँ मैं।


तसल्ली, दिलासा या तेरी उन बातों से,

जाने खुद को क्या समझा रहा हूँ मैं।


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