STORYMIRROR

Abhilasha Chauhan

Abstract

4  

Abhilasha Chauhan

Abstract

आ रहा मधुमास देखो

आ रहा मधुमास देखो

1 min
346


कोपलें घूँघट उठाती

देखती अब मुस्कराकर

आ रहा मधुमास देखो

भ्रमर बोले गुनगुनाकर।


काननों में हरितिमा फिर

डालती अपना बसेरा

शाख दुल्हन सी सजी अब

है नया जीवन सवेरा

और कलियाँ फूल बनती

रूप अपना ही सजाकर।


हो रहा सुरभित पवन भी

बौर से अमराई महकी

रूपसी नवयौवना सी

ये धरा फिर आज चहकी

प्रीत का नवमास आया

झूमता मन आज गाकर।


ताल देते शाख पत्ते

वृक्ष से लिपटी लताएँ

कोयलों ने राग छेड़े

विरह की झूठी कथाएँ

तान सा मकंरद चहके

गीत अभिनंदन सुनाकर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract