अनुभूतियों को अभिव्यक्ति देने का छोटा सा प्रयास है मेरी रचनाएं।
मुक्त कहां हो पाता है लुटा अपना सर्वस्व भ्रम में ही मिट जाता है। मुक्त कहां हो पाता है लुटा अपना सर्वस्व भ्रम में ही मिट जाता है।
तान सा मकंरद चहके गीत अभिनंदन सुनाकर। तान सा मकंरद चहके गीत अभिनंदन सुनाकर।
सूर्य भी शीतल सा हुआ धूप का दिखना विरल है। सूर्य भी शीतल सा हुआ धूप का दिखना विरल है।
वेदना का घूँट पींती क्या मिले सबकुछ गँवाकर। वेदना का घूँट पींती क्या मिले सबकुछ गँवाकर।
चहकने दो चहचहाने दो जीवन का आनंद उठाने दो चहकने दो चहचहाने दो जीवन का आनंद उठाने दो
सत्ता की चौसर बिछी, जुड़े धुरंधर आय। अपनी-अपनी जीत के, सोचें नए उपाय। सत्ता की चौसर बिछी, जुड़े धुरंधर आय। अपनी-अपनी जीत के, सोचें नए उपाय।
भोर उजली स्वर्ण जैसी नीड़ में पंछी चहकता पुष्प खिलकर झूमते से! भोर उजली स्वर्ण जैसी नीड़ में पंछी चहकता पुष्प खिलकर झूमते से!
मदन करे श्रृंगार,देखती सबकी अखियाँ। रति का लगती रूप,बाग में सारी सखियाँ। मदन करे श्रृंगार,देखती सबकी अखियाँ। रति का लगती रूप,बाग में सारी सखियाँ।
घटा घनघोर छाई,चली खूब पुरवाई। धरती का मिटा ताप,आनंद उठाइए।। घटा घनघोर छाई,चली खूब पुरवाई। धरती का मिटा ताप,आनंद उठाइए।।
हो अधर्म का अंत, पार्थ उठाओ शस्त्र तुम। गीता ज्ञान अनंत, रणभूमि में कृष्ण कहे। हो अधर्म का अंत, पार्थ उठाओ शस्त्र तुम। गीता ज्ञान अनंत, रणभूमि में कृष्ण कहे...