अनुभूतियों को अभिव्यक्ति देने का छोटा सा प्रयास है मेरी रचनाएं।
Share with friendsगरीब की जेब फटी हो तो क्या न फटी हो तो क्या उसके पास कुछ होता ही नहीं इसलिए वह जेब देखता ही नहीं अभिलाषा चौहान
मानो या ना मानो चाहे तुम मुझे अपना ना मानो हमने तुम्हें ही बस अपना है माना भले ही मेरी चाहत को तुम ना पहचानो। अभिलाषा चौहान
मानो या ना मानो चाहे तुम मुझे अपना ना मानो हमने तुम्हें ही बस अपना है माना भले ही मेरी चाहत को तुम ना पहचानो। अभिलाषा चौहान