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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

मजबूरी में सख्ती

मजबूरी में सख्ती

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प्रिय डायरी के अनुभव का सोलहवां दिन,

गुरुवार, 9अप्रैल ,2020


इतनी सारी सबकी मेहनत रंग ला नहीं पा रही,

भारी पड़ रही कुछ नासमझों की अनदेखी और मस्ती।

लाक डाउन से तो अब काम नहीं चल पा रहा है अब,

सील करके कई क्षेत्र कर पूरे प्रतिबंध की करनी पड़ रही सख्ती।


रखा रवैया ढुलमुल केवल कुछ ने, पर दंड सभी ही भोगेंगे,

सुधर जाएं और अब तोबा कर लें ,नहीं तो पछताएंगे बस रोएंगे।

करें वही जो सबके लिए हितकर हो,कभी किसी को कष्ट न हो,

भागीरथ शिवि की संतति हैं हम,हमारी भारतीय संस्कृति नष्ट न हो।


अविवेकपूर्ण सुख के कुछ क्षण, और अपनों में बस एक ही हम चुन पाएंगे,

विवेक नहीं जागा गर अपना फिर तो,न हम खुद और न अपने ही बच पाएंगे।

मस्ती और आनंद मनाने को बचेंगे हम तब ही ,जो घर में जब सब रुक जाएंगे,

मान सके न जो हम निर्देशों को,तो बस दुनिया की यादों में ही हम रह जाएंगे।


बड़े कष्ट से बचने को हम,रह घर सदा नियंत्रण रखें सब निज भावों पर,

नासूर कभी भी बने नहीं, विवेक से संयम की क्रीम लगा लें हम घावों पर।

सैनिक सा अनुशासन मानें हम सब,निज आत्मबल से मानवता को बचाना है,

ढीठपन आलस से सबको बचा करके, मिलकर करना हमें परास्त"कोरोना" है।


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