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आत्मा को सुकून दे जाएगा जो पता नहीं कितने जन्मो तक जंगल में भटकेगी। आत्मा को सुकून दे जाएगा जो पता नहीं कितने जन्मो तक जंगल में भटकेगी।
कोरोना महामारी जैसी त्रासदी के भँवर एवंं जीवन को कैद करने वाले पीड़ादायी दंश से बची रहेग कोरोना महामारी जैसी त्रासदी के भँवर एवंं जीवन को कैद करने वाले पीड़ादायी दंश से ब...
क्यूँ कि हम जानते हैं कि ये कैद हमारी स्वयं की देन है। क्यूँ कि हम जानते हैं कि ये कैद हमारी स्वयं की देन है।
हमको आत्मग्लानी होती है क्यूँ कि हम जानते हैं कि ये कैद हमारी स्वयं की देन है। हमको आत्मग्लानी होती है क्यूँ कि हम जानते हैं कि ये कैद हमारी स्वयं की देन है।