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Leena Jha

Inspirational

4  

Leena Jha

Inspirational

नारी

नारी

1 min
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नारी हूं मैं

कब हारी हूं मैं

तब भी नहीं जब मायके के

आंगन से निकल

जमाना था जङ नये आगंन में


पूछा भी नहीं था किसी ने

क्या कर पाओगी तुम ?

हारी नहीं थी मैं

सोचा था मन के गहरे में

बस एक बात


जीतेंगे हम जब तक है दम

बस यही सोचा था मैंने

जब संतति को किया था खुद से दूर

सोच था तब भी उसके

उज्ज्वल भविष्य की

कहाँ सोच पाई थी अपने

अंदर आये खालीपन को भरेगी कैसे ?


उसके हिस्से के खाली

समय को भरेगी कैसे ? 

तब भी उठ बैठी थी

कर्मक्षेत्र में फिर साहस कर

बस सोचा था मन ने फिर एकबार

जीतेगें हम जब तक है दम


क्षीण होती नेत्रज्योति

विस्मृत होती यादों के बीच

अपनी ही बातों में खुद ही उलझी

हवाओं से ही मन की बातें करती

जिंदगी की आपाधापी से मुक्त 


नारी मन की कोमलता से भरी

अब भी लड़ रही है वो ये सोच

जीतेंगे हम जबतक है हममें दम।


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