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Leena Jha

Abstract

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Leena Jha

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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कुछ घड़ी साथ अपने गुजर जाने दे

ज़मीं पर ही चांद आज उतर जाने दे


कौन कहता है तू मेरे हिस्से में नहीं

दुनिया की इन बातों को दिगर जाने दे


ये हिना बिखरी है रंग हथेलियों पर मेरे

तेरी खुशबू मेरे आंगन में बिखर जाने दे


कब किसने किससे किया वादा कोई

तु दुनिया को उन वादों से मुकर जाने दे


तिरी मांगों में सितारों की चमक भर दूं

आसमा से चांद उतार झुमर बनाने दे


मय का नशा है या तिरी साथ का, होश नहीं

यूँ ही बेख्याली में ये तमाम सफ़र होने दें।


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