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Leena Jha

Abstract

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Leena Jha

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स्त्री

स्त्री

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ककर बाट देख रहल छी

निकलु हेरु अपन राह

नई ऐता आब कोनो राम

अहिल्या के पाथर मुक्ति लेल


बनु अहां अब अपने राम

तोरु अपन अंदरक पाथर के

बनबू नव रस्ता अपन 

अहिं में छईथ राम निहित


नई हेरु उनका बाहर में

आहां छी शक्ति शिव के

निहित अहिं में ब्रह्मांड 

तोरु अपन निद्रा के


पहचानु अपन शक्ति अपरंपार

बनबु अपने अपन नव संसार

हे ! नारी 

छी आहां अपने 

बरगद विशाल


बुनु नित नव सरंचना

अपन आंचर पसाइर।


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