शहर से दूर
शहर से दूर
शहर से दूर प्रकृति की गोद में,
रहने का मजा ही कुछ और है,
लगता हैं जैसे असली जिंदगी है,
जहां प्रदूषण का ना प्रकोप है,।
अब तो गांव भी अपने रूप बदल,
जैसे होड़ में शहर बनते जा रहे हैं,
खतम हो रहे सब खेत खलिहान,
बाग बगीचे दुर्लभ होते जा रहे हैं,
शहर से दूर ही अब नए गांव,
अपने आप बसते जा रहे हैं,
सुखद प्राकृतिक आनंद पाना है,
तो शहर से दूर हो जाना होगा।
