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Leena Jha

Abstract

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Leena Jha

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कच्चा सा दिल

कच्चा सा दिल

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कच्चा सा ये दिल

लम्हें नये चुन रहा

पनियाई आंखों में ये

स्वप्न नये सजा रहा


गीली गीली हंसी में ये

नित्य नये गीत गुनगुना रहा

सतरंगी चुनर ख्वाबों के ये

मेरे माथे पर ओढ़ा रहा

कच्चा सा ये दिल


लम्हे नये चुन रहा

मेरे मन के आगंन में ये

नित नये पौधे बो रहा

कुछ निर्मल पारिजात से


कुछ नीम से छायादार बो रहा

कुछ अनोखे यादों के

मीठे रसों से भरे बो रहा

इन अनदेखे मधुर खुराकों से 


आत्मा को प्राणरस से भर रहा

कच्चा सा ये दिल 

लम्हें नये चुन रहा

अब भी बचपन के


उस निश्छल हंसी को सजाये

जीवन पथ पर

विश्वास का दीप जला रहा

कच्चा सा ये दिल

लम्हें नये चुन रहा।


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