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Chitra Chellani

Romance

4  

Chitra Chellani

Romance

मैं

मैं

1 min
200


नाज़ों में पली मैं, अब हर हाल में रम जाती हूँ 

शिकवों से थी भरी, अब हर वक़्त मुस्कुराती हूँ 


कभी इश्क था हुआ, अब मैं प्रेम समझ पाती हूँ 

ना चाह चाँद की, चाय से ही मन बहलाती हूँ 


चेहरे थी जानती, अब आँखें भी मैं पढ़ पाती हूँ 

लब ना भी कह सकें, अब मैं अनकहा सुन पाती हूँ 


झांकूँ जो दर्पण में, तो दिखता है एक अक्स 

जानती हूँ , मैं ही हूँ, पर पहचान नहीं पाती हूँ।


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