आँसू
आँसू
सोख कर दर्द नस नस का
स्वयं में ढाल रखा है...
नैन बाँधों से ढुल ढुल कर
ज़लज़ला टाल रखा है
ज़माने में भले पहचान हो
"आँसू " अशक्ति के
हकीकत में इन अश्कों ने
हमें सम्भाले रखा है।
सोख कर दर्द नस नस का
स्वयं में ढाल रखा है...
नैन बाँधों से ढुल ढुल कर
ज़लज़ला टाल रखा है
ज़माने में भले पहचान हो
"आँसू " अशक्ति के
हकीकत में इन अश्कों ने
हमें सम्भाले रखा है।