STORYMIRROR

Chitra Chellani

Abstract

4  

Chitra Chellani

Abstract

नहीं है

नहीं है

1 min
211

भले ही आँख मेरी नम नहीं है 

मेरे गीतों में पर सरगम नहीं है 


सुखाना था मगर हमने कुरेदा 

कलम है हाथ में मरहम नहीं है 


बेवफ़ा वो नहीं यह जानकर बस 

दर्द तो है हमें पर ग़म नहीं है 


फैसला दूर रहने का भले है 

फ़ासले पर मगर हमदम नहीं है 


उसकी झूठी मगर मीठी सी बोली 

किसी सच्ची दवा से कम नहीं है 


हमने हारा है दिल पर उस तरफ़ भी 

देख लो जीत का परचम नहीं है 


लिखे हैं खत बड़े ही शौक से सब 

पता लिखने का किंचित दम नहीं है ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract