सच दो, चाहे...
सच दो, चाहे...
बस आँखों में अपने ख्वाब सुहाने दो
सच दो, चाहे मुझको तुम अफ़साने दो
सुलझ गई तो राह अलग हो जाएगी
बातों को थोड़ा थोड़ा उलझाने दो
हर लम्हे में घुल जाओ यह ठीक नहीं
गीत कोई दूजा भी मुझको गाने दो
दुनिया भर का प्यार समेटा करते हो
कभी मुझे भी मन की बात बताने दो
ख़फ़ा भले हो, प्यार मगर तुमको भी है
यही सोच कर मुझको मन बहलाने दो
शब्द तुम्हारे चाहे जिस भी ठौर सधे
मुझको मन को मनचाहा समझाने दो
अब तो पलकें भी, भारी भारी सी हैं
अब तो याद ना आओ, अब सो जाने दो