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Sharique Imbesat

Inspirational Romance

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Sharique Imbesat

Inspirational Romance

शायरान-ए-मोहब्बत

शायरान-ए-मोहब्बत

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आपकी रुमानी हँसी मेरी रुहानियत पे सवाल खड़ा करती है

कि ऐ खानाबदोश, तू इतनी गलियों में क्यों घूमा करता है।

के तेरी खुशी तो छुपी है उनकी हर मुस्कुराहट में, 

तू उनके दर पे ही उनका फ़नकार बनके क्यों ना बैठा करता है।

सर ज़मीन मेरी आसमान मेरी

हर कमी मेरी हर दुआ मेरी

हमदर्द मेरी हमनवा मेरी 

सिर दर्द तुम्ही सफा तुम्ही

दिल-ओ-दरमियाँ में तू ही तू है 

तू क्या है मेरे लिए ये तुझे पता नहीं।

जतन जताने की जीत ना सके 

तंग अब मैं और मेरी तनहाई है 

मलंग मुहब्बत में मेरा मुकद्दर 

पर ना जाने पीछे पड़ी किसकी परछाई है

अंधेरी में आग, सुलगती हुई शाम हूँ मैं 

क्या मेरा जीना इस जहाँ से मेरी जुदाई है।

दर्द ही दर्द है रूह को, 

खुद पर ही कहरा रहे हैं हम

एक झूठी मुस्कान लिए बैठें हैं, 

आपके लिए मुस्कुरा रहे हैं हम

यूँ तो खूबसूरत काली रात याद है आपकी,

बस उसी अंधेरे को और गहरा रहे हैं हम.

ना वो शाम वापस आएगी, ना वो अंधेरा,

बस आपकी याद में जिए जा रहे हैं हम।

दू

र होना भी एक सज़ा है

पास आना भी एक सज़ा

ना मज़ाक में वो मज़ा है

ना शबाब में वो मज़ा

हर श्याम तेरे बिन कज़ा है 

हर सुबह तेरे बिन कज़ा

ना रुसवाई में मेरी रज़ा है 

ना रूह अदाएगी में मेरी रज़ा 

अब तो बस वक्त ही सहारा है 

डर है ये वक्त भी ना दे जाए दगा।

हँस के मरे या रोते हुए जी जाऐं,

सवाल ये साहाबी दिल मेरा किया करता है 

के हँसी में मेरी है उनकी हँसी

पर मेरे रोने पे भी वो मुस्काया करता है 

जी हुज़ूरी में जनाब जहन्नम हो गया है जीना 

के मेरे मरने पे भी वो मुझको अज़ान लगाया करता है

मर के हँसना ही लिख दे किस्मत में मेरे ऐ खुदा

अब इस रूह में रोना मेरे जिस्म को बहुत रुलाया करता है।

जो दो दिन गम के बीते हैं, 

तो चार दिन खुशी के भी आऐंगे

जो आँखो में आँसु हैं आज

वो कल को खिलखिलाती बारिश बन जाऐंगे 

आज भले दिन में भी हो अंधेरा

कल को रात भी पूनम की मनाऐंगे

जो लग रहा हो, हो गए हो तन्हा, 

तो याद रखना सब लौट के वापस ज़रूर आऐंगे। 


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