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Sheel Nigam

Inspirational

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Sheel Nigam

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संदेश

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हरी-पीली पड़ीं,पीली से लाल-भूरी,

रंग बदलती खुशनुमा हैं ये पत्तियाँ।

फिर अचानक वृक्षों से झड़ती गईं,

सरसराती-चरमराती सूखी पत्तियाँ। 


पतझड़ ऋतु आई, सोचने लगीं,

धरती की गोद में सूखी पत्तियाँ,

फिर से फूटेंगी कोंपलें वृक्ष पर,

फूलेंगे-फलेंगे सुन्दर फूल फल।


बसेंगे नीड़, देगा छाँव पथिकों को,

झड़ जायेंगी सूख के हरी पत्तियाँ,

वक्त की आँधी लेके जायेगी कहीं,

धूल-मिट्टी की सरहदों के उस पार।


होता रहेगा, पीढ़ी-दर-पीढ़ी यही,

सूख कर पेड़ भी रह जायेगा ठूँठ

नहीं उड़ेगा किसी सरहद के पार,

बन कर आसरा सहारा देगा कही।


नींव बनेगा आलीशान महल की,

जलेगा ईंधन बन किसी चूल्हे में,

या चिता बन अंतिम संस्कार की,

भस्म बनके भी देगा यही संदेश,


'नश्वर-क्षणभंगुर जीवन, नश्वर यह संसार,

जब तक जियो करो निस्वार्थ परोपकार।'


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